
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक गतिविधियों के बीच कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकी हमले के मुद्दों पर केंद्र सरकार से चार बड़े और तीखे सवाल पूछे हैं।
हाई ब्लड प्रेशर यानी ‘साइलेंट किलर’: इलाज थाली में छुपा है!
1. ऑल पार्टी मीटिंग कब?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात जरूर की, लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा के संदर्भ में एक व्यापक ऑल पार्टी मीटिंग की ज़रूरत है। उन्होंने पूछा कि पहलगाम आतंकी हमले जैसी घटनाओं के बाद पीएम विपक्षी नेताओं से कब मिलेंगे और उन्हें विश्वास में कब लेंगे?
2. कारगिल समीक्षा जैसी प्रक्रिया होगी क्या?
जयराम रमेश ने सिंगापुर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के हालिया खुलासे का हवाला देते हुए पूछा कि क्या सरकार इस पर कारगिल युद्ध के बाद की तरह समीक्षा समिति बनाएगी? क्या कोई रिपोर्ट तैयार होगी जिसे संसद में प्रस्तुत किया जाएगा?
3. संसद में दो दिवसीय बहस की अनुमति?
कांग्रेस ने मांग की है कि मानसून सत्र के दौरान भारत को घेरने वाली आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों — जैसे चीन, पाकिस्तान और नई तकनीकों — पर दो दिन की विशेष चर्चा कराई जाए। क्या प्रधानमंत्री इसके लिए तैयार हैं?
4. पहलगाम के आतंकी अब तक आज़ाद क्यों?
चौथा सवाल सबसे गंभीर है — कांग्रेस का कहना है कि पहलगाम हमले के दोषी आतंकवादी अब भी खुले घूम रहे हैं। जयराम रमेश ने पूछा कि उन्हें न्याय के कटघरे में कब लाया जाएगा और क्या पीएम उनसे भी राजनीतिक दलों की तरह संवाद करेंगे?
बड़ा सवाल: विदेश नीति बनाम घरेलू सुरक्षा?
जहां एक तरफ भारत सरकार ने 50 सांसदों के साथ 32 देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर विदेश नीति को मजबूत करने की कोशिश की, वहीं विपक्ष यह मुद्दा उठा रहा है कि आंतरिक सुरक्षा के सवाल अब भी अनुत्तरित हैं।
क्या प्रधानमंत्री इन चार सवालों के जवाब संसद में देंगे?
क्या पहलगाम के हमले के पीछे की सच्चाई सामने आएगी?
कांग्रेस द्वारा उठाए गए ये सवाल केवल राजनीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दे हैं। आगामी मानसून सत्र में सरकार का रुख यह तय करेगा कि यह बहस कितनी गंभीरता से ली जाएगी।